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Posts on ‘September 15th, 2011’

तूं : कच्छी कविता

सॉणें न ब कन हूंधे तूं,
सिखें “हें…हें कुरो ?” कईंधे तूं.

सोख हूंधे न समजे कीं,
डोखमें ज सिखें रुंधे तूं.

कख तोडी़ ने के ब टोकर,
सिखें परबारो खेंधे तूं.

सत समागम न के कडें,
सिखें न पगला छूंधे तूं .

डिंधल डिने भिसियाल “बिहारी” ,
सिखे न हथ वारींधे तूं .

: बिहारीलाल अजाणी