हिकडा़ नगर सेठ हुवा इनींजे घर में नॉकर गच हुवा. हिकयार नगरसेठ जे घर मिंजा चोरई थई. घरजे नॉकरें चोरी क्यों हुंवो. पण कोय कभूल नते कें आखर काजी बुलांयो. काजी तां जमानेजा खाधल हुवा.
इनींजे घरजे नॉकरें के लेन सर ऊभा क्यों पोय लिखवार चप फरकांयों ने च्यों हा वस्यो वस्यो चोरजी मुन तें चंधर वस्यो खरो.
जुको सचो चोर हुवो से ध्रेनुं. मथे तें चंधर वस्यो से न्यारेला पिंढजो हथ मथे तें फिराय ने चोर तेरंइ जलजी व्यो. तें मथा चोवाणुं “चोर जे मथे ते चंधर वसॅ”
कच्छी में चोवक जो अर्थ: लेखक अरविंद डी.राजगोर