Posts under ‘Intellectual Kutchi’
Kachchhi SMS
Meethi .. Jalebi Jedi,
Kachchhi Jo Gusso
Garam.. Fulke Jedo,
Kachchhi Jo Dhil
Naram…Ice Cream Jedo,
Kachcchi Jo Saath
Chatpato.. Keri Gundhe je Athane Jedo
Kachcchi jo confidence
Kadak .. Khakre Jedo
Kachchhi Jo Swabhav
Milansar.. Daal Dhokri Jedo
Moral : Kachcchi Saathe Ronda Tah Kade Bhokya Nai Royo 🙂
Pa Nafrat na rakhja
Malejo thiye na thiye
Sambhandh Jadvi Rakhja
Dukh ve n ve
Dilaso dhil thi dija
Call Thiye na thiye
Pa SMS jaroor Karija 🙂 🙂
प्लास्टिक
जबले में घारु मिले, जबले में छाय..
जबले में साकभाजी, जबले में गांठीया..
जबले में ‘रोटी’ मिले, भेरा चटणीने भजीया..
रंज को आड़े नतो, खें अॅठ भेरा जभला..
पोय रिबाई मरें, पांजा जीव अबोला..
हटमें प्लास्टिक, प्लास्टिक होटल में…
पाणीजी पाऊच मिलें, पाणी मिले बोटल में..
वेफर प्लास्टिक में, प्लास्टिकमें बिसकीट..
भजर-चुन भेरा, गुटकेला ई ज प्लास्टिक..
निसाणमें प्लास्टिक, मिंधर में प्लास्टिक..
बगीचे में प्लास्टिक, जाडी-जांखरे में प्लास्टिक..
घरमें प्लास्टिक, घर बारां प्लास्टिक
जित डिसॉ- जडें डिसॉ, प्लास्टिक – प्लास्टिक..
हाव-भाव प्लास्टिकजा, प्लास्टिकजी वाणीं..
खिल खोटी प्लास्टिकजी, ‘दास’ माडु कंईयें जाणीं…
पंज महत्वजा कार्य पांजे कच्छ ला
पांजी मातृभूमी कच्छ, मातृभासा कच्छी ने पांजी संस्कृति ही पांला करे अमुल्य अईं. अज कच्छ में ऊद्योगिक ने खेतीवाडी में विकास थई रयो आय. बारनूं अलग अलग भासा बोलधल माडु प कच्छमे अची ने रेला लगा अईं. हॅडे वखत मे पां पांजी भासा ने संस्कृति के संभार्यूं ही वधारे जरूरी थई व्यो आय. अमुक महत्व जा कार्य जे अज सुधी पूरा थई व्या हुणा खप्या वा ने जे अना बाकी अईं हेनमेजा जे मिणीयां वधारे महत्वजा अईं से नीचे लखांतो.
अज जे आधुनिक काल में जमाने भेरो हले जी जरूर आय. अज मडे टी.वी. ने ईंटरनेट सुधी पोजी व्यो आय. हॅडे मे पांजा कच्छी माडु कच्छी भासा मे संस्कृति दर्सन, भजन, मनोरंजन, हेल्थ जी जानकारी ने ब्यो घणें मडे नेरेला मगेंता ही सॉ टका सची गाल आय. हेनजे अभाव में पांजा छोकरा ने युवक पिंढजी ऑडखाण के पूरी रीते समजी सकें नता. खास करेने जे कच्छ जे बार रेंता हु कच्छी भासा ने संस्कृति थी अजाण थींधा वनेंता.
अज कच्छ जे स्कूल में बो भासाएँ में सखायमें अचॅतो गुजराती ने ईंग्लीस. कच्छी भासा जे पांजी मातृभाषा आय ने घणे विकसित आय ही हकडी प स्कूल नाय जेडा १ थी १० धोरण सुधी सखायमें अचींधी हुए. कच्छी भासा जे उपयोग के वधारे में अचॅ त ही कच्छीयें ला करे सारी गाल आय ने स्कूल में सखायमें अचे त हनथी सारो कोरो. भोज, गांधीघाम जॅडे सहेरें में जेडा बई कम्युनीटी ( गुजराती,सींधी,हींदीभाषी,….) जा माडु प रेंता होडा ओप्सनल कोर्स तरीके रखेमें अची सगॅतो. १ थी १० क्लास सुधीजो अभ्यासक्रम पांजा कवि, साहित्यकार ने शिक्षक मलीने लखें त हेनके स्कूल में सखायला कच्छी प्रजा मजबूत मांग करे सगॅती. जॅडीते गुजरात, महाराष्ट्र,…. मे मातृभासा जो अभ्यासक्रम त हुऍतोज.
टीपो
कॅरक मॅलो, कॅरक धूचॅलो,
कॅरक धुरीयो, कॅरक नाय,
कॅरक ऊनी वाय ,
कॅरक मानसरोवर,
कॅरक हल्यो हरोहर,
कॅरक मॅरामण में,
कॅरक मांक रिण में.
कॅरक घा तें विठो,
कॅरक ध्रोड़ंधो जरणुं डिठो.
कॅरक ऊछर्यो,
कॅरक पथर्यो,
कॅरक वर्यो , नें तारे नें तर्यो,
कॅरक सिरी व्यो,
खुबो भलें नं हो भर्यो,
कित कितरा पंध,
वडरजी साधर,
कॅरक सुतो, भनीनें चाधर,
हिकड़ो टीपो पाणी,
टीपो पिंढ वडी आखाणी
कच्छी चोवक : संप तित सणियात
Photographic Reminiscence of Krantiguru Pandit Shyamaji Krishnavarma
वखत डिसीं ….
Indian Institute,Oxford gets Krantiguru Pandit Shyamji Krishna Vermas Portrait
Although better-known as a political activist, Pandit Shyamji Krishnavarma was also a noted scholar of Sanskrit and other Indian languages. The portrait was generously donated to the library by Hemantkumar Gajanan Padhya, the President of the Hindu Swatantryavir Smruti Sansthanam, Milton Keynes, and a regular reader in the Indian Institute Reading Room.
Thanks to Hemantbhai for providing us with the details .
ગાલ ભનેં ઈ પાંજી !
અઇં ચો સે આંજી
મિલી કરે જ પાં કૂછોં
ત , ગાલ ભનેંઈ પાંજી.