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कच्छीमे पंज डीं श्रीमद् प्रज्ञा पुराण कथा

गांधीधाम मे गणेश नगर मे मतियादेव मंडल द्वारा आयोजित 9 तारिकथी

http://kutchmitradaily.com/article.aspx?site_id=3&news_id=174735

कच्छी शायरी जी जलक

सरम वगर जी बायुं नकांमी
ने व्यसन वारा भा नकांमां,

प्राण वगर जी काया नकांमी,
ने मर्ये पोय ही मळे माया नकांमी

लागणीं वगर जा माडु नकांमां
ने नीती वगर जा नाणां नकांमां

मकान वगर जी बारी नकांमी,
ने अाखो डीं वोट्सअेप मे चोटी हुए
हेडी बायडी नकामी

विनय वगर जो ऋप नकांमु,
अने पां वगर ही ग्रुप नकांमु …

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कच्छ जो प्रवास

KachchhJoPravas1

Kachchh Jo Pravas 2

ध्यान थी वाचिजा भला

*शब्द कच्छी में अईं।*
*ध्यान थी वांचिजा भला*

*वॅर*
*वैभव*
*व्यसन*
*अने व्याज*

*व्हाला थई ने*
*करिंधा ताराज*

*हिनिंके वधारिंधा त*
*वनाइंधा लाज*

*अने घटाडिंधा त*
*करिंधा राज*

नलिया दुसकर्म कांड मे न्याय जी मांग

कच्छ के अलग राज्य भनायजो टाईम अची व्यो आय

पांजो मेड थइ वेंधो : कच्छी कॉमेडी फिल्म


कच्छी दंगल (मलखडो)


दोस्त दिलेर ..

दोस्त दिलेर ने
वला मुंजा
बधे न रखाॅ धन माल
ख्याॅ खारायाॅ
ने खॅरात कर्याॅ
कें डेठ्ठी आय काल

सहारो

सहारो
*****

भनी सगुं त केंजो क सहारो भनुं,
केंजे क जीवन जा तारणहार भनुं ,

जीवन त हकडे वडे झाड जॅडो आय ,
कोइ क निर्दोस पंखीडे जो माडो भनुं ,

मंझील ने ध्येय मेणीं जे जीवन में वेंता,
कोइ क जीवनसाथी जो सथवारो भनुं ,

धिल थी धिल मेंलॅ ई त प्रॅमी अें जी रीत आय,
पण कोइ क प्रॅमाणधिल जो धिलदार भनुं ,

“श्रवण” जेडा त पां न चॉवाजुं,
पण पां पांजे माँ बाप जो सहारो भनुं

कवि हिंमत गोरी
સહારો
******

ભની શગું ત કેંજો ક સહારો ભનું ,
કેંજે ક જીવન જા તારણહાર ભનું ,

જીવન ત એકડે વડે ઝાડ જેડો આય ,
કોઈ ક નિદૉષ પંખીડે જો માળો ભનું ,

મંઝીલ ને ધ્યેય મેણીં જે જીવન મેં વેતાં ,
કોઈ ક જીવનસાથી જો સથવારો ભનું ,

ધિલ થી ધિલ મેંલે ઈ ત પ્રેમી એ જી રીત આય ,
પણ કોઈ ક પ્રેમાળધિલ જો ધિલદાર ભનું ,

“શ્રવણ” જેડા ત પાં ન ચોવાજું ,
પણ પાં પાંજે માઁ – બાપ જો “સહારો” ભનુ .

Kavi હિમત ગોરી

लखपत

।। लखपत ।।
*लखें जो लोडार, लखपत।
भारत जो पेरेधार, लखपत।
* कोटेसर कटेसर मड माता जो।
नारणसरजी पार, लखपत।
* लालछता ने पीर सावलो।
नानक जो धरबार, लखपत।
* कडे कमाणीयुं थइ लखें जी।
कडे भनी वीठो भेकार, लखपत।
* कारी खाण्युं कोलसें वारी।
लायटें जो चमकार लखपत।
* न चरो चोपें के पाणी पीतेला।
डीठा कंइक डुकार, लखपत।
* धरती रूपारी धांय घणा थींये।
जडे मीं वुठो श्रीकार, लखपत।
*भाडरो सांध्रो नरो गोधातड।
पोख जा आधार, लखपत।
* मेंयु गोइयुं जा खीर ने मावो।
भनी वयो शाउकार लखपत।
* धवाखाने मे धागतर न’वे।
मास्तर वगर जी निशार, लखपत।
* मधध बार जी कडे प न मीले।
मालिक ते ऐतबार, लखपत।
* गीने वारा गीने भले तोजे नां ते।
डिनो वारो अंइ दातार, लखपत।
* “जय” ऊथों पां भेठ भंधे ने।
धुनिया के चों ” न्यार, लखपत।

: हितेस जोसी
reference : https://www.facebook.com/tejpaldharsinagda.tej