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कें से कीं गाल केणी

कें से कीं गाल केणी
ई पण संस्कार सिखाइता ।
मंधर में ब हथ जोड़े ,
गुरु से मथो नमाय
गाल केणी खपे ।

“मा ” विटे पेट छुटी ने
बापा से मान मोभो रखी
गाल कराजे ।

,भा,से धिल खोले ,
,भेण,से हीयारी डिईने
गाल केणी खपे ।

बार – बच्चे से प्यार से,
ने घरवारी से
हीये जो हट
खोले ने गाल कराजे,
सं, कानजी “रिखीयो”

रक्षाबंधन प्रसंगे कच्छी गीत : भॅणूं

https://youtu.be/LZZZE-lZx38

ऋषि चिंतन जे सानिध्य में

टुंके लमें हलधें

थीए मन राजी

थीए मन राजी

सूणी पिंढजा वखाण, थीए मन राजी
वांची पिंढजा लिखाण, थीए मन राजी

लिकधे डिठो एंकार, चितमें गूसयो चड़ीने
विठो विछाई विछाण,थीए मन राजी

कढणूं बोरो आकरो, निकरे नतो बारा
गरवजो रखे बंधाण, थीए मन राजी

डीं उगेने नित खपे, हले न जिरा वार
उठीने गिने पूछाण, थीए मन राजी

निसडो भनी फिरेतो,करे आतमजी हाण
कांत गिनणूं संधाण,थीए मन राजी

नये वरेजी वधायुं

गामजो चॉरो : कंटोलेंजी खेती प्रस्तुती निलम कारिया

आध्यात्मिक लाभ ज सर्वोपरी लाभ आय (कच्छी भाषा) ऋषि चिंतन जे सानिध्य में

सच्ची जीत

Kachchhi quotes

वसी विन