Beautifully choreographed Kutchi Lokgeet
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Ba Paise Ja Ringra
Matho Kutchi Geet
नमजे एतरो …
“जानी” नमजे एतरो,
नमे जेतरो कंध,
ऊ खपी वेया नाधान में,
जें छडई नमे जी हंध
नमे जेतरो कंध,
ऊ खपी वेया नाधान में,
जें छडई नमे जी हंध
: कवि नेणसीं भानुसाली “जानी”
મિલણ
મિલે તેંસેં મિલૉ
નકાં જુધાઈ મેં ટિલૉ ,
મોં ચડાઈ હલેં
તેં સેં સામેંનૂં કીં ખિલૉ
નકાં જુધાઈ મેં ટિલૉ ,
મોં ચડાઈ હલેં
તેં સેં સામેંનૂં કીં ખિલૉ
:વ્રજ ગજકંધ
कच्छी ओकलॅ आतमा …. !
लिखी सगां तो गुर्जरी , हिन्दी पण निर्वाण !
कच्छी ओकलॅ आतमा , वरसे परसे प्राण ! वरसे परसे प्राण !
कच्छी ओकलॅ आतमा , वरसे परसे प्राण ! वरसे परसे प्राण !
: कवि लालजी नानजी जोसी
Monthar

This is a Kachchhi traditional sweet
Ingredients: | |
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Hi all and any Samosa recipe?
Hi all
Just saw this site and looking around. Wanted to say Hi to all.
OK, let me start with one, no two questions; (if it is not rude to start with questions/requests)
1 In last 35 years, probably have had 6 samosas they way they make in Bhuj. Here it is mostly potetoes and vegetables. Any one knows either where I can get in London or the recipe?
2 Any one knows where to get the song ‘na chhadiyan hathiyar mulubha cheto na chhadiyan hathiyar’.
Cheers all
Narendra
माटली : बाल कविता
माटली रे माटली,
पाणी भरे जी माटली
पाणी भरे जी माटली
माटली सटूकडी़,
रमो प्या मटूकडी़,
रमो प्या मटूकडी़,
रमँधे रमँधे तरा आयो,
पाणी भरी मथे चडा़यो .
पाणी भरी मथे चडा़यो .
मथे ता सीनोंणी,
सिरी विइ अकोणी,
सिरी विइ अकोणी,
खणी खणी पची रिइयां,
गारे में आउं घची रिंइयां,
गारे में आउं घची रिंइयां,
माटली वी काणी,
मिडे़ वुङी़ व्यो पाणी !
मिडे़ वुङी़ व्यो पाणी !
:कवि डॉ. वसंतजी नागडा
अकोणी : मस्तीखोर
*हली अचॉ कां अचण डयॉ*
हली अचॉ कां अचण डयॉ
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अहेसान कर्यॉ ऐतरो , अखियुं त मिलण डयॉ !
अखियुं त मिलण डयॉ , गुलभधन त खिलण डयॉ !
अखियुं त मिलण डयॉ , गुलभधन त खिलण डयॉ !
आं वट करे कोरो भला , आकाश जी परी ;
अबोट ऍडे़ रूप जा, धिधार त करण डयॉ ! …
अबोट ऍडे़ रूप जा, धिधार त करण डयॉ ! …
खोल्यॉ आंजे धिलजा अईं भंध ही कमाड़ ;
वेसां अचे ऐतरी, धड़कन त सोणण डयॉ ! …
वेसां अचे ऐतरी, धड़कन त सोणण डयॉ ! …
चेल ने ही चाल हाय ! मुरकें तां लालमलाल !
कुँवारा आंजा चप वल्ला ! लिख त चुमण डयॉ ! …
कुँवारा आंजा चप वल्ला ! लिख त चुमण डयॉ ! …
हंध विछाय हिंयें जा ‘अश्क’ वाटडी़ न्यारे !
कां त हली अचॉ हिते , कां त अचण डयॉ !…
कां त हली अचॉ हिते , कां त अचण डयॉ !…
: माधव जोशी “अश्क”
चेल : कमर , हंध : आसन