Posts under ‘General’
ओगराइ
🌴🌴🌴
कच्छडो बारे मास
अमी जी ओगराइ कीं अचे?
जित विख जा सिराण वें,
ओगराइ ता उत अचे यार,
जित मोभत जा मंढाण वें.
: आसमल धुलिआ “अगम”
अमी जी ओगराइ कीं अचे?
जित विख जा सिराण वें,
ओगराइ ता उत अचे यार,
जित मोभत जा मंढाण वें.
: आसमल धुलिआ “अगम”
*केते व्यो ?*
*केते व्यो ?*
चुलो केते व्यो,
पाणीयारो केते व्यो ?
मिठे पाणी जी वाय,
*आरो केते व्यो ?*
सीम जी वाट तें,
पग मूंजा घसी व्या,
कोयल नें मोरजो
*टहुकारो केते व्यो?*
बाजरजी मानी नें,
डुंगरी जो साक,
परो जो छाय जो
*छमकारो केते व्यो ?*
तरा जी पार तें,
लूगडा सुकधा वा,
उते पइ छीपरें जो
*आरो केते व्यो ?*
छेण नें मिटी सें ,
लिंपण थींधा वा,
गौ मुतरसें भनधो
*गारो केते व्यो ?*
डेर-डेराणी,जेठ
-जेठाणी,सस नें सोरो,
ए सुणेती-कंथ जो
*टुकारो केते व्यो ?*
केते व्या मूंजा ,
ढोलियो नें धड઼की ?
मीडी तें थीधो वो,
*ओतारो केते व्यो ?*
चुलो केते व्यो,
पाणीयारो केते व्यो ?
मिठे पाणी जी वाय,
*आरो केते व्यो ?*
सीम जी वाट तें,
पग मूंजा घसी व्या,
कोयल नें मोरजो
*टहुकारो केते व्यो?*
बाजरजी मानी नें,
डुंगरी जो साक,
परो जो छाय जो
*छमकारो केते व्यो ?*
तरा जी पार तें,
लूगडा सुकधा वा,
उते पइ छीपरें जो
*आरो केते व्यो ?*
छेण नें मिटी सें ,
लिंपण थींधा वा,
गौ मुतरसें भनधो
*गारो केते व्यो ?*
डेर-डेराणी,जेठ
-जेठाणी,सस नें सोरो,
ए सुणेती-कंथ जो
*टुकारो केते व्यो ?*
केते व्या मूंजा ,
ढोलियो नें धड઼की ?
मीडी तें थीधो वो,
*ओतारो केते व्यो ?*
हाल पुछधा
*तान्का*
हाल पुछधा
वाट में मिलधल,
धिल जी गाल
सुणधल कोक वें,
इनके रखो हींये.
*- वसंत मारू…चीआसर*
हाल पुछधा
वाट में मिलधल,
धिल जी गाल
सुणधल कोक वें,
इनके रखो हींये.
*- वसंत मारू…चीआसर*
मिणींके शुभ डियारी ! साल मुबारक !


🎊🍨🌸
नये वरेजी लख लख वधाईयुं
🎊🎁
Happy New Year !
🍬 🕉️
नये वरेजी लख लख वधाईयुं
🎊🎁
Happy New Year !
🍬 🕉️

अैयुं माडु
अैयुं माडु
अैयुं माडु मानवता
संभारियुं,
जात माडुजी जगमें
निखारियुं,
रखी धिलजी खडकी
में प्रेम डीयो,
पांजे अंतर जो
अंगण उजारियुं,
ध्रोय वेर नें,
विख जा मकान;
लाट लागणीजी,
भुंगी भनाइयुं.
वढे लोभ अने,
लालचज्युं जडुं;
कूडे करम जे,
कंढे के बारियुं.
अचे अमृत जी आव,
छिले धिल;
सचे आचारें के,
ज आवकारियुं.
छडे सवारथ जो,
सहेर “जयु” हल;
पांजे गामडेमें,
जींधगी गुजारियुं.
-जयेश भानुशाली “जयु”
मिणींके शुभ नवरात्री ! शुभ दशेरा!
Matajo madh Live
www.matanamadh.org
जय माताजी !
या देवी सर्वभूतेषु विष्णुमायेति शब्दिता । नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
या देवी सर्वभेतेषु चेतनेत्यभिधीयते। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
या देवी सर्वभूतेषु निद्रारूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
या देवी सर्वभूतेषु क्षुधारूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
या देवी सर्वभूतेषु छायारूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
या देवी सर्वभूतेषु तृष्णारूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
या देवी सर्वभूतेषु क्षान्तिरूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
या देवी सर्वभूतेषु जातिरूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
या देवी सर्वभूतेषु लज्जारूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
या देवी सर्वभूतेषु शान्तिरूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
यादेवी सर्वभूतेषु श्रद्धारूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: या देवी सर्वभूतेषु कान्तिरूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
या देवी सर्वभूतेषु वृत्तिरूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
या देवी सर्वभूतेषु स्मृतिरूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
Navratri Vrat Recipes —————————-
http://idiva.com/photogallery-ifood/12-vrat-special-recipes-to-prep-for-navratri/32381
www.matanamadh.org
जय माताजी !
या देवी सर्वभूतेषु विष्णुमायेति शब्दिता । नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
या देवी सर्वभेतेषु चेतनेत्यभिधीयते। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
या देवी सर्वभूतेषु निद्रारूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
या देवी सर्वभूतेषु क्षुधारूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
या देवी सर्वभूतेषु छायारूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
या देवी सर्वभूतेषु तृष्णारूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
या देवी सर्वभूतेषु क्षान्तिरूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
या देवी सर्वभूतेषु जातिरूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
या देवी सर्वभूतेषु लज्जारूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
या देवी सर्वभूतेषु शान्तिरूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
यादेवी सर्वभूतेषु श्रद्धारूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: या देवी सर्वभूतेषु कान्तिरूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
या देवी सर्वभूतेषु वृत्तिरूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
या देवी सर्वभूतेषु स्मृतिरूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
Navratri Vrat Recipes —————————-
http://idiva.com/photogallery-ifood/12-vrat-special-recipes-to-prep-for-navratri/32381
छिले प्यो !
छिले प्यो !
माडी कींक एड़ो कर, हमीरसर छिले प्यो,
वडे बंध जी आव नेरे नें , ई खिले प्यो.
मीं वसेतो ओण, मूंजे वतन तें लज छडे,
लपई चुल तें चडे, वधाई डेती तडें.
कडेंक वोक-वे तें, हि सरोवर टिले प्यो,
वडे बंध जी आव नेरे नें, ई खिले प्यो.
नातो ईनसें आय, मूंजो जनमो जनमजो,
डंको वजेतो भुजमें जलदेवता-धरमजૉ.
पंज नाका ने छठ्ठी बारी तें, ई मिले प्यो,
वडे बंध जी आव नेरे नें, ई खिले प्यो.
धिलसें वलो भुजवासीएं के ,हि तरा,
ज मीं राजी होय त भले नें पें धोरा करा.
छतेडी तें विठो वे ,पग पखारे हिले प्यो,
वडे बंध जी आव नेरे नें, ई खिले प्यो.
*** -कृष्णकांत भाटिया ‘कान्त’
माडी कींक एड़ो कर, हमीरसर छिले प्यो,
वडे बंध जी आव नेरे नें , ई खिले प्यो.
मीं वसेतो ओण, मूंजे वतन तें लज छडे,
लपई चुल तें चडे, वधाई डेती तडें.
कडेंक वोक-वे तें, हि सरोवर टिले प्यो,
वडे बंध जी आव नेरे नें, ई खिले प्यो.
नातो ईनसें आय, मूंजो जनमो जनमजो,
डंको वजेतो भुजमें जलदेवता-धरमजૉ.
पंज नाका ने छठ्ठी बारी तें, ई मिले प्यो,
वडे बंध जी आव नेरे नें, ई खिले प्यो.
धिलसें वलो भुजवासीएं के ,हि तरा,
ज मीं राजी होय त भले नें पें धोरा करा.
छतेडी तें विठो वे ,पग पखारे हिले प्यो,
वडे बंध जी आव नेरे नें, ई खिले प्यो.
*** -कृष्णकांत भाटिया ‘कान्त’