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Posts under ‘Kutchi Kavita,Chovak,Sahitya (Poetry, Quotes, Literature)’

कच्छडो जाध अचे

काफी : कच्छडो जाध अचे
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असांके कच्छडो जाध अचे,
वसों असीं भलें पार परंले, सा वतन के सिके – टेक

धींगा संभरे धण धोंरीजा,भलप तां छल भचे,
गोईयें मईयेंजा खीर मिठडा, माडुडा पी मचें. असां के …

होला, पारेला, कबरूं ,कागडा,कोयलडियुं जित कूछें,
शोभतां सुरखाब मुल्लकजी, मोर कळायल नचें. असां के…

वड पीपरी ने जार आमरी, नमुरियें निम लचें,
मिठडो मेवो मुल्लकजो, जित पीरू लाल पचें. असां के…

लुखुं लगें जित मींयडा मोंघा, धोम आकरा धुखें,
वा वंटोळा चडें आकाशें उत्तरजा साय अचें. असां के …

जण जोरूका पट बरूका, बोली बाबाणी रुचे,
भेनरुं, भावर,हेत भरेला,जीगर असां के जचें. असां के  …

पार पुजी को हाल पुच्छे,जिंय नीरधारां मच्छ लुछें,
मावो चय मीठी तवार तनमें, मातृभूमिजी मचे.  असां के…

: मावजी जेराम भानुसाली (मास्तरजी)

कच्छी चोवक : संप तित सणियात

जित संप आय तित सणियात आय ईन चोवकजी वारता न्यारीयुं. हिकडे़ पे जा चार पुतर हुवा .
कडेंक संपसे रोंधा हुवा त कडेंक , कारीयारो करींधा हुवा ईनीजें पे के ही खबर हुई ईतरे ईनींके हिन गालजी चिंधा थींधी हुई. पे जी छेल्ली मांधाई हुई तडें ईनींके हाणे लगोज मुंके हिकड़ी गाल छोकरें के समजाई डिणीं खपे. ईनीं चारोंय छोकरें के बोलायों ने च्यों हिकड़ी सनी लठ्ठ खणी अचो.
  छोकरा तेरंई हिकड़ी सनी लठ्ठ खणी आया.अधा च्यों ईनके तोडे़ विजो छोकरा तेरंई लठ्ठ के तोडे़ विधों.पोय अधा च्यों हाणे डॉ लठ्ठीयुं खणी अचो ने भेरीयुं करे ने बध्यो. छोकरा डॉ लठ्ठीयुं खणी आयाने  बध्यों. पोय अधा ईंनींके च्यों हाणे हिन के तोड़यो. छोकरा हिकडे़ बी सामुं न्यारण लगा.हिकडो़ छोकरो पे के चें अधा ही तां भेरीयुं अंई ईतरे न टुटें.
  हाणे अधा च्यों हिकड़ी सनी लठ्ठ तां अंई तेरंई तोडे़ सग्या पण ही मिडे़ भेरी लठ्ठीयुं टूटी सगें ईं नईं. ईन रीतें ज आंई चारोय भा संप सला सें रोंधा त आंई सुखसें रई सगधां कोय आंजो वार पण विंगो नई करे सगे पण ज छूटा थ्या ने आं विच्च कुसंप थ्यो त आंई मिडे़ विखो विखोथी वेंधा मुंजी गाल समज्या ? छोकरा ही गाल समज्या ने पिंढजे अधा के वचन डिनों ने च्यों असीं संपसें रोंधासीं आंके चिंधा करेजी जरुर नांय.
  छोकरेंजी गाल सुणी ईनींजे अधाजे आतमा के शांति थई.
कच्छी में चोवक जो अर्थ: लेखक अरविंद डी.राजगोर

જૅડી જેંજી નજર : जॅडी़ जेंजी नजर

કેંકે મિડે ખાસા લગેં કેંકે મિડે ભુછડા
હિક્યાર કૃષ્ણ ભગવાન વટ કોરવ ને પાંડવ ભેરા થીને વિઠા હુવા. તડેં કૃષ્ણ ભગવાન પૂછયોં હિન જગમેં રાજાયેં મેં સચીલા(સજણ) કિતરા અંઈને ખોટા કિતરા અંઈ સે લજી અચો.

તડેં દુર્યોધન ચેં હિન મેં મિડેજ રાજા ખોટા અઇં તેં પુઠીયા યુધિસ્થિર ચ્યોં કોય રાજા મુંકે ખોટો નતો લગે. જિતરી જેં મેં સચાઇ સે ખાસા ગુણ ન્યારે ને જેંમેં અવગુણ ઘણે હુવેં સે અવગુણ ન્યારે ‘જૅડી જેંજી નજર’ કેંકે મિડે ખાસા લગેં કેંકે મિડે ભુછડા. ઇન મથા હી ચોવક પઈ જૅડી જેંજી નજર.

કચ્છી મેં ચોવક જો અર્થ : લેખક અરવિંદ ડી. રાજગોર
केंके मिडे खासा लगें केंके मिडे भुछडा
हिक्यार कृष्ण भगवान वट कोरव ने पांडव भेरा थीने विठा हुवा.तडें कृष्ण भगवान पूछ्यों हिन जगमें राजायें में सचीला(सजण) कितरा अंइने खोटा कितरा अंइ से लजी अचो.

तडें दुर्योधन चें हिन में मिडेजा राजा खोटा अंइ तें पुठीया युधिस्थिर च्यों कोय राजा मुंके खोटो नतो लगे.जितरी जें में सचाई से खासा गुण न्यारे ने जें में अवगुण घणे हुवें से अवगुण न्यारे ‘जॅडी जेंजी नजर’ केंके मडे खासा लगें केंके मिडे भुछडा. इन मथा ही चोवक पई जॅडी जेंजी नजर.

कच्छी में चोवक जो अर्थ: लेखक अरविंद डी.राजगोर

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આઉં શબ્દ લખધિયાં ને સાથે જ અન જો અર્થ explain કઇંધિયાં.. અને અઇં કન કે અગિયા વધારિજા.. All are welcome.. join to create a large set of vocab..

નક nose
ન’ક     kind of gutter / opening for extra water etc to pass on..

 

तूं : कच्छी कविता

सॉणें न ब कन हूंधे तूं,
सिखें “हें…हें कुरो ?” कईंधे तूं.

सोख हूंधे न समजे कीं,
डोखमें ज सिखें रुंधे तूं.

कख तोडी़ ने के ब टोकर,
सिखें परबारो खेंधे तूं.

सत समागम न के कडें,
सिखें न पगला छूंधे तूं .

डिंधल डिने भिसियाल “बिहारी” ,
सिखे न हथ वारींधे तूं .

: बिहारीलाल अजाणी

विञो मिंधर …

विञो मिंधर उपासरे में क मस्जिदमें;
न बिइ कोय गाल, स्वर्ग जो लारो हुंधो !
: लीलाधर गडा
विञो : विनॉ

अखर पाटी …

अखर पाटी ता भुंसजॅ,
फिटे कागर ता साई.
पण लिखावट ललाट जी,
फिटे नती फिटाई.
: नेणसीं भानुसाली “जानी”

भॅणूं

वीर पसली जे डीं ही सुंदर कच्छी गीत
भॅणूं
***
हूंधो भवांतरे जो लॅणूं !
निका भला कीं जुड़ें भाऐं के जिजल जॅड़युं भॅणूं!

सगा हजारुं, सगाईयुं लख, गडजी गजें करोडुं,
लुछें विठयुं प कुछें न लिखपण ! भॉरप जो नां भॅणूं !

भांऐं भांऐं के भेरो के ला भुछड़युं थींन्युं भेणूं,
जिगर विगर की जडी़ सगॅ को ? रत जयुं डिई डिई रॅणूं !

जिरकलडी़ के जांपलीऐनुं जचॅ न बारा विनणूं,
पखा छडी परडेस विने त्युं तांय कुरेला , भॅणूं !

समजू च्यां, संभारी रखजा, सूंवालीयुं अईं भॅणूं,
धूऐ विगर पण धुखणुं कीं से, क्यांनुं सिखंधो छॅणूं !

कितरीयुं कसल्युं, कितरीयुं पसल्युं, कितरो गिनणूं डीणूं,
सुतर राखड़युं, उंतर लागणयुं, लसॅ भला कीं लॅणूं ? !

: डॉ विसन नागडा
गडजी : मिली,भेटी . रॅण : संधाण

निंढडी़ ऊ ….

निंढडी़ ऊ निसाड़ पाछी वारे ड़े ! पांजी ऊ अगाड़ पाछी वारे ड़े !
मिठा मिठा मीं पाछा वारे ड़े ! ऊ निंढपण जा ड़ी पाछा वारे ड़े !
: जयेस भानुसाली “जयु”

अखियें ओतारा (गी़त)

धिलसें धूलारा थींधासीं ,
अखियें ओतारा डींधासीं.
मॅभूभ मिठा मन मॉजीला !
आंके न अचें को पण हीला,
धरीया धिलसें धावत डिईनें ,
प्रेमरस प्यारा पींधासीं….
अईंयूं असीं आंजा धीवाना ,
आंजी मॉभतमें मस्ताना ,
सथूआरो मिले अगर आंजो ,
अभजा तारा गूंथींधासीं ….
अईं जान कनां पण वला जानी ,
आं वटे लगे़ धुनिया फानी ,
आंजे सड जे ऑठे ऑठे,
जिजा जनमारा जिंयंधासीं….
: व्रज गजकंध