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आसापुरा माताजी सवारजी आरती

जय आसापुरा माताजी !

अखियें ओतारा (गी़त)

धिलसें धूलारा थींधासीं ,
अखियें ओतारा डींधासीं.
मॅभूभ मिठा मन मॉजीला !
आंके न अचें को पण हीला,
धरीया धिलसें धावत डिईनें ,
प्रेमरस प्यारा पींधासीं….
अईंयूं असीं आंजा धीवाना ,
आंजी मॉभतमें मस्ताना ,
सथूआरो मिले अगर आंजो ,
अभजा तारा गूंथींधासीं ….
अईं जान कनां पण वला जानी ,
आं वटे लगे़ धुनिया फानी ,
आंजे सड जे ऑठे ऑठे,
जिजा जनमारा जिंयंधासीं….
: व्रज गजकंध

कच्छी रेसीपी : मेठी मानी

मेठी मानी

मेठी मानी नालो सोणी मोंमे पाणी ने मेठास अची वेने.पाँ कच्छी माडु ‘थधो’, ‘शीतला सातम ‘जे डीं भनाईयुं.. (अगले डीं)  छठ जे डीं भनायली मेठी मानी ने बई चीजुं  सातम जे डीं खावाजें. सातम जे डीं पूजापाठ करे ने गेस/स्टव के आराम डेवाजे.

मेठी मानी भनायजी चीजूँ :
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कच्छी रेसिपी: साटा

कच्छ जा माडु

कच्छ कच्छी कच्छीयत

कच्छ कच्छी कच्छीयत
       ( १ )
उमेध मनमें एतरी,
     कच्छ थीये आभाध !
कच्छी बोली जुग़ जीये,
     कच्छी करीयें याध  !

     ( २ )
मातानूं वडो डेव नांय,
      माजी मनमें याध  !
मातृभूमि मा-बोलीजी,
      नित करीयां आराध !

     ( ३ )
मा-बोली ! जीयें सदा,
     कच्छी करीयें प्यार  !
हींयें में आसन डींयें,
     करीं सदा जयकार  !

      ( ४ )
मुसाफरी हलंधी विठी,
     जेसीं आऊं जीयां  !
मालक ! पूरी आस कर  !
      पोय, मॉत मिठो करीयां  !

     ( ५ )
आस खबर आ ‘ तूंहींके,
      हिकडी़ धिल धारई  !
कच्छी बोली जीये सदा,
      रातॉय-डीं सारई  !

 : माधव जोसी ‘अस्क ‘

हथ…

पांजा भाईबंध ब , सचा समरथ अईं ;
पंज पंज नोकरें वारा , पांजा ब हथ अईं .
: कवि दुलेराय काराणी

न डिनों…

न डिनों……
ब घडी़ प सुखसें वेंण न डिनों
सुख-डुखजी ब गा़ल्यूं केंण न डिनों.

गोधा गंजेजा वाडी विटारे आया सजी़
प खातर ला ब पोधरा छेंण न डिनों.

मों तॉजो जा़णे टुकर चंधर जो !
प नमणा नक नें नेंण न डिनों.

डीने वारें के पूणेठीजो पूतर डिई डिना
मूंके सत मिन्जा हिकडी़ये भेंण न डिनों.

प्रेमीयें में करियेंता वॅम न्यार्यो
लयलाके मजनूसें पॅणण न डिनों.

: अरवींद सोमैया

કચ્છડો ખેલે ખલક મેં …

કચ્છડો ખેલે ખલક મેં, જીં મહાસાગર મેં મચ્છ ;
જિત હિકડો કચ્છી વસે, ઉતે ડિયાણી કચ્છ.
:દુલેરાય કારાણી
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કારા ડુંગર કચ્છ જા , ધોરા ધણ ચરેં,
સિજ ઉથલે સામાં અચેં, ડિસંધે દુ:ખ ટરેં.
:દુલેરાય કારાણી
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કચ્છી માડુ અસીં, અસાંજો વતન વહાલો કચ્છ ;
ટાપટીપ બેઉ બુઝો નતાં, પણ ધિલજા અસીં સ્વચ્છ.
:દુલેરાય કારાણી

Research information

Hello frnz…I want to do my Ph.D research on topic related to Kachchh specially being frm same place…m studying clothing & textiles so if any one hv related topics thn pls help me out….hw cn I meet the present generation of ruler of Kachchh as documentation of their costumes is my one of the fav topic for which I wnt to work if gvn a chance….waiting for suitable replies…