
कें से कीं गाल केणी
ई पण संस्कार सिखाइता ।
मंधर में ब हथ जोड़े ,
गुरु से मथो नमाय
गाल केणी खपे ।
“मा ” विटे पेट छुटी ने
बापा से मान मोभो रखी
गाल कराजे ।
,भा,से धिल खोले ,
,भेण,से हीयारी डिईने
गाल केणी खपे ।
बार – बच्चे से प्यार से,
ने घरवारी से
हीये जो हट
खोले ने गाल कराजे,
सं, कानजी “रिखीयो”
मिणींके शुभ नवरात्री !

मिच्छामी दुक्कडम
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*हलधे, चलधे, बोलधे*
*करीयांतो आंऊ भुलूं*
*डिसा नतो आंऊ कीं*
*नॅरीयांतो बेंज्यूं भुलूं*
*अज सवंत्सरी जे डीं*
*भुलूं हिकडे઼बेंज्यूं भुलूं*
*वसंत अज धिलसें मिलूं*
*खमाईयूं पां भुलीने भुलूं*
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———————————– *वसंत मारू…चीआसर जा*
🙏 *मिच्छामी दुक्कडम*🙏
रक्षाबंधन प्रसंगे कच्छी गीत : भॅणूं
स्वतंत्रता डींजी जजी वधायुं
जय हिन्द!,पांजो कच्छडो,पांजे संस्कृति के नमन
🙏 मूजी मातृभूमि के नमन🙏
वीर पसली
*पसली रे….मुजे वीरे जी पसली,*
*मुजे तां भा जी रखई आउं पसली,*
*अचे ना मुजे भा ते कोय ओखी,*
*पसली रे…मुजे वीरे जी पसली,*
*जजो जीये सीरे जेडो मेठडो मुजो वीरो,*
*सोकन डींया जोरे करे सोपारी ने टोपरो,*
*पसली रे…मुजे वीरे जी पसली,*
*डेण-डाकण, सीं ने सप,ना कपे भा जो रस्तो,*
*एतरे ऊंभरे ते सत वेरा फेराईआं धस्तो,*
*पसली रे…मुजे वीरे जी पसली,*
*चंञु-भलो सुखी संसार रे मुजे भाजो,*
*माडी वेटे धोआ करीआं डीं-रातजो,*
*पसली रे…मुजे वीरे जी पसली,*
*”अजनबी” भा लखे भेणे ला पसली,*
*अमर रे भा-भेणे जो पेरभ ई पसली,*
*पसली रे…मुजे वीरे जी पसली*
: रमणिक साह