Wishing All Kachchhis throughout the world a Very Happy Holi !
May god gift you all the colours of life,joy,happiness,friendship,love and all other colours you want to paint in your life..
HAPPY HOLI ……
Happy Holi!
माडी तोझी मानी : कच्छी गीत
माडी तोझी मानी में तां जोबन जोम जुवानी ….. मिणियां
धींगा तोजा हथडा माडी , धींगो कच्छी पाणी …… मिणियां
देवेंके पण दुरलभ एडो दान ज तोजो दानी …… मिणियां
‘काराणी’ चे अमरत जेडी, मिठडी माजी मानी …… मिणियां
तान में ने तान में !
ने रात व्यामी विइ सजी , इं तान में ने तान में !
व्यासीं खटी ही रांघ अजजी, तान में ने तान में !
हेकला मस्ती में झुमों , तान में ने तान में !
रिइ न सुघ कीं भी असांके , तान में ने तान में !
‘ अश्क ‘ मन्झील ते पुगासीं, तान में ने तान में !
Mandvi Taxation
Mandvi Nagar Seva Sadan providing a good number of services, to maintain standard of service it is collecting tax from people.
Water Tax :
Resident…. 720
Non resident 1440
हकल : कच्छी बाल गीत
हैया नकरो घरनुं बार.
भेरी खण झा हथ में लठ.
साथ डिने झा खणझा सों,
भडवीरें के केडो़ भो.
इगिया इगिया हलँधा रो !
कच्छ वतन
पल न विसारीयूं ! पल न विसारीयूं !
झारो डुंगर धार्यों असीं, सदा विठा सारीयूं !
धारिया ज्यूँ लरयुं ! असीं, सदा विठा सारीयूं !
खीर नित विलोड़यों असीं, सदा विठा सारीयूं !
भोज ज्यूँ भाजारयुं असीं, सदा विठा सारीयूं !
सांई के संभार्यों असीं, सदा विठा सारीयूं !
गुवार मुड बाजरीयुं असीं, सदा विठा सारीयूं !
सेंण ! आँकें सार्यों असीं, सदा विठा सारीयूं !
सतीयूं पघमणीयुं असीं, सदा विठा सारीयूं !
बेडयुं कच्छ हाकार्यों असीं, सदा विठा सारीयूं !
कच्छी बोली बोल मेठा !
मेठा ! तूँ कच्छी बोली बोल !
तूँ धिलझी अच्छी बोली बोल !
मेठा ! तूँ …..
कच्छी लक्खों
कच्छी वांचयों
कच्छी सक्खों !
Kutchi language Exams held in the district
Examination of Kutchi language was held on 108 centers in Kutch by an organization named ‘Kutchi Sahitya Kala Sangh’, Nakhatran-Kutch. ‘Kutchi Pathavali – 1’ by Mr. Narayan Joshi, a veteran Kutchi writer is the text-book for the test of Kutchi language for this exam
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http://news.kutchforever.com/ShowNews.aspx?id=208
किस्मत रेखा : बाल काव्य
बाल काव्य
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रत्ता पीरा , कारा नीला
गुल्ल गुलाबी , चितर चितरीयां!
सिज ने चंधर , तारा मंढल !
वसंधल मेघ मलार चितरीयां !
कुकड़ कागड़ो, हंस कबुतर,
तितर कलायल मोर चितरीयां !
हाथी घोड़ो , उठ गांय ने ,
रिढ़ ने बकरी , मे चितरीयां !
हिकड़े निनढड़े हथ जे विचमें ,
किस्मतजी आऊं , रेखा चितरीयां !
: माधव जोशी “अश्क”