

नये वरेजी लख लख वधाईयुं
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Happy New Year !
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अैयुं माडु
अैयुं माडु मानवता
संभारियुं,
जात माडुजी जगमें
निखारियुं,
रखी धिलजी खडकी
में प्रेम डीयो,
पांजे अंतर जो
अंगण उजारियुं,
ध्रोय वेर नें,
विख जा मकान;
लाट लागणीजी,
भुंगी भनाइयुं.
वढे लोभ अने,
लालचज्युं जडुं;
कूडे करम जे,
कंढे के बारियुं.
अचे अमृत जी आव,
छिले धिल;
सचे आचारें के,
ज आवकारियुं.
छडे सवारथ जो,
सहेर “जयु” हल;
पांजे गामडेमें,
जींधगी गुजारियुं.
-जयेश भानुशाली “जयु”
पांजी मातृभूमी कच्छ, मातृभासा कच्छी ने पांजी संस्कृति ही पांला करे अमुल्य अईं. अज कच्छ में ऊद्योगिक ने खेतीवाडी में विकास थई रयो आय. बारनूं अलग अलग भासा बोलधल माडु प कच्छमे अची ने रेला लगा अईं. हॅडे वखत मे पां पांजी भासा ने संस्कृति के संभार्यूं ही वधारे जरूरी थई व्यो आय. अमुक महत्व जा कार्य जे अज सुधी पूरा थई व्या हुणा खप्या वा ने जे अना बाकी अईं हेनमेजा जे मिणीयां वधारे महत्वजा अईं से नीचे लखांतो.
Kachchh(Kutch) mein gadein madey alag jhat jha pakshi aein . Maliney 370 jhat jha pakshi kachch mein malentah.