
Posts under ‘कच्छी जॉक्स’
डेतर
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धूसको डने,डग
छाय जो छमकार,
सूंयो कनते,
तासरी खणी करी,
चे मावडी मखण,
*डॅ*
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*तान्का*
मखण मानी,
छबल भरे गिन,
लोंधा भरेने.
लगाय मखण के,
ध्रो सठ खाय गिन.
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*हाईकु*
मखण खाधों,
मानी ते लगायने.
मजा आवई.
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*साईजीकी*
मजा त अचेन,
घरजो वे,
दूध.
गोंयु मैयुं पिंढ़जीयुं.
*ज्यंती छेडा पुनडीवारा*
मिणींके हॅप्पी होरी

होरीजा फाग गजें , धिलमें ओ रसिया,
ढोलीजा ढोल वजें, धिलमें ओ रसिया.
केसूडो डोले प्यो सीमके सोनजी करे,
मनजो माणीगर रंगसें पिचकारी भरे.
वरणागी रूप सजेँ , धिलमें ओ रसिया,
ढोलीजा ढोल वजें, धिलमें ओ रसिया.
खणीनें अभके, उभो आय हि जीवतर,
रंगजे हुभसें मुं भेगो मूंजो हमीरसर.
सोणां सट कढे भजें, धिलमें ओ रसिया,
ढोलीजा ढोल वजें, धिलमें ओ रसिया.
गामजे चोरेतें पुसेतो रंगसें फारियो,
खेतरमें खिले प्यो, चोकीधार चाडियो.
होरीगीत लजें , धिलमें ओ रसिया,
ढोलीजा ढोल वजें, धिलमें ओ रसिया.
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-कृष्णकांत भाटिया ‘कान्त’
ओगराइ
अमी जी ओगराइ कीं अचे?
जित विख जा सिराण वें,
ओगराइ ता उत अचे यार,
जित मोभत जा मंढाण वें.
: आसमल धुलिआ “अगम”
*केते व्यो ?*
चुलो केते व्यो,
पाणीयारो केते व्यो ?
मिठे पाणी जी वाय,
*आरो केते व्यो ?*
सीम जी वाट तें,
पग मूंजा घसी व्या,
कोयल नें मोरजो
*टहुकारो केते व्यो?*
बाजरजी मानी नें,
डुंगरी जो साक,
परो जो छाय जो
*छमकारो केते व्यो ?*
तरा जी पार तें,
लूगडा सुकधा वा,
उते पइ छीपरें जो
*आरो केते व्यो ?*
छेण नें मिटी सें ,
लिंपण थींधा वा,
गौ मुतरसें भनधो
*गारो केते व्यो ?*
डेर-डेराणी,जेठ
-जेठाणी,सस नें सोरो,
ए सुणेती-कंथ जो
*टुकारो केते व्यो ?*
केते व्या मूंजा ,
ढोलियो नें धड઼की ?
मीडी तें थीधो वो,
*ओतारो केते व्यो ?*
हाल पुछधा
हाल पुछधा
वाट में मिलधल,
धिल जी गाल
सुणधल कोक वें,
इनके रखो हींये.
*- वसंत मारू…चीआसर*
कच्छ अलग राज्य भनायला आह्वान
मिणींके कच्छी भासा मेज बोलेजी अरज आय.
जय कच्छ !
पंज महत्वजा कार्य पांजे कच्छ ला
पांजी मातृभूमी कच्छ, मातृभासा कच्छी ने पांजी संस्कृति ही पांला करे अमुल्य अईं. अज कच्छ में ऊद्योगिक ने खेतीवाडी में विकास थई रयो आय. बारनूं अलग अलग भासा बोलधल माडु प कच्छमे अची ने रेला लगा अईं. हॅडे वखत मे पां पांजी भासा ने संस्कृति के संभार्यूं ही वधारे जरूरी थई व्यो आय. अमुक महत्व जा कार्य जे अज सुधी पूरा थई व्या हुणा खप्या वा ने जे अना बाकी अईं हेनमेजा जे मिणीयां वधारे महत्वजा अईं से नीचे लखांतो.
अज जे आधुनिक काल में जमाने भेरो हले जी जरूर आय. अज मडे टी.वी. ने ईंटरनेट सुधी पोजी व्यो आय. हॅडे मे पांजा कच्छी माडु कच्छी भासा मे संस्कृति दर्सन, भजन, मनोरंजन, हेल्थ जी जानकारी ने ब्यो घणें मडे नेरेला मगेंता ही सॉ टका सची गाल आय. हेनजे अभाव में पांजा छोकरा ने युवक पिंढजी ऑडखाण के पूरी रीते समजी सकें नता. खास करेने जे कच्छ जे बार रेंता हु कच्छी भासा ने संस्कृति थी अजाण थींधा वनेंता.
अज कच्छ जे स्कूल में बो भासाएँ में सखायमें अचॅतो गुजराती ने ईंग्लीस. कच्छी भासा जे पांजी मातृभाषा आय ने घणे विकसित आय ही हकडी प स्कूल नाय जेडा १ थी १० धोरण सुधी सखायमें अचींधी हुए. कच्छी भासा जे उपयोग के वधारे में अचॅ त ही कच्छीयें ला करे सारी गाल आय ने स्कूल में सखायमें अचे त हनथी सारो कोरो. भोज, गांधीघाम जॅडे सहेरें में जेडा बई कम्युनीटी ( गुजराती,सींधी,हींदीभाषी,….) जा माडु प रेंता होडा ओप्सनल कोर्स तरीके रखेमें अची सगॅतो. १ थी १० क्लास सुधीजो अभ्यासक्रम पांजा कवि, साहित्यकार ने शिक्षक मलीने लखें त हेनके स्कूल में सखायला कच्छी प्रजा मजबूत मांग करे सगॅती. जॅडीते गुजरात, महाराष्ट्र,…. मे मातृभासा जो अभ्यासक्रम त हुऍतोज.
जाॅक्स : मंधी
छगन (पंढजे बोस के ) – सर, काल थी आउ वेलो 7 वगे घरे हल्यो वेधो…..
बोस :- को..?
छगन :- आजी नोकरी थी मुजो घर नतो हले ,
रात जो नाईट में मूके रिकसा हलाईणी खपेती एटले…
बोस (भावुक थई ने ) – रीक्षा हलाई धे हलाई धे थकी रे ने भोख लगे त मु वटे अची ज भला , आउ पण रात जो पाव-भाजी जी लारी हलाईया तो …
जॉक्स : सफरजन वेंकेला…
नेकर्या तेर सस एकावन ऋपीया सोखडी डेने…
जमाई (रस्ते में) : जानु तोजी मम्मी ला… हेकडो सो एंसी जा सफरजन गेनी आयो हो… थोडो त ख्याल क्यो खपे जमाई अईंया आ….. ठला एकावन ऋपीया…. !!!
घरवारी (खार में) : ही वरी कोरो !!! जान…हेतरी गाल ला तोके…. चटे वेई.. मुजी मम्मी ला कीं प न बोलेजो हा……
तुं मुके कोठेला आवे होय क….
सफरजन वेंकेला…..
सवार ओगइ सारी… :)
मथे वधा भतार भारी…
सीम न लजे मुके,
हाणे थइ मोसीबत भारी..
फोन करे पोछयो अधा के,
अधा सीम कदा आय पांजी..
अधा वठोओ ओटे गामजे,
नोटरम जमइ होइ बोरी..
फोन सोणी अधा ओपळ्यो,
लख लख जीयु दने चार गारीयुं..
ओठ जेदो थे तोय सीम
न लधे पांजी..?
थकी हारी आयो आउ पाछो,
खेळ वगरजी सीम रइ सारी..
अधा अचींधो अदो कढधो,
करींधो मगज मारी बोरी…
ब माडुंएजो भतार खाइ,
नंधरुं कयुं आउ भारी…
केजी सीम केडा ढगा केजो अधा,
रात वइ सवार ओगइ सारी..!!
हिन्दी कच्छी रिमीक्श
मुंभई में ऐसा गरमी पेती है , के मत पोछो गाल ।
अध कलाक मे त मों पकेले टमाटे जेडा भनता है ।
हणे खाली वरसाद का वाट मेडे नेरता है ।
कुछ नहीँ सोजता है , हेदा का माडु बोरा मोंजता है
तोय सवार के पोर मे मेणी को संभारता है …
सबका दिं खासा वने … 🙂
Have A Nice Day … 🙂
फूडरीमासी : कच्छी जॉक्स
बाजु वारा जमना काकी पोछ्यों :- मासा के काॅ मारयाॅता.?
फुडरीमासी:- आयुर्वेदिक वारो डॉक्टर चें ने के ही धवा मासा के कोटे ने पिराइजा
कच्छी जॉक्स !
पण…..
जो होनजी बायडी कच्छ जी होइ त ?
केडा वनॉता
कें साथे वनॉता
कॉ वनॉता
पाछा कॅर अचिंधा
हॅडो परया वनेजी कोर जरूर आय
अइं न सोधिंधा त न हलधो
अइं पोरथ्वी जो भार खयांना
रोगो रोल्यो खपॅतो आंके
छेल्ले कटांडजी ने कोलम्बस चई डने वें ….
नाय वनणु केतेय
माफ़ कर मुंके
आउ धोकान तेज वइ रयांतो 🙂
कच्छी जॉक्स
धोकानधार:
केटले जो रीचार्ज करायनो आय
माडु:- 10 रुपीये जो
धोकानधार:- 7 रुपीये जो टॉकटाइम मेलधो
माडु:
तडे 3 रुपीये जी बीडी दइ दे !
कच्छी जॉक्स : अच्चां
बहुत लम्बी लाइन लगी हुई
थी… गेट पर लिख रखा था अंदर आने के लिए जो सबसे कम
शब्द
बोलेगा उसे
नौकरी दी जाएगी… अब कोई कहे:- मै आई कम इन सर ।
कोई:- क्या में अन्दर आ सकती हु ।
कोई कुछ कोई कुछ .. तभी एक कच्छी माडू का नंबर आया उसने
कमरे के गेट में गर्दन भीतर डाली और बोला : अच्चां ??;)