Posts under ‘Intellectual Kutchi’
कच्छ अलग राज्य भनायला आह्वान
मिणींके कच्छी भासा मेज बोलेजी अरज आय.
जय कच्छ !
पंज महत्वजा कार्य पांजे कच्छ ला
पांजी मातृभूमी कच्छ, मातृभासा कच्छी ने पांजी संस्कृति ही पांला करे अमुल्य अईं. अज कच्छ में ऊद्योगिक ने खेतीवाडी में विकास थई रयो आय. बारनूं अलग अलग भासा बोलधल माडु प कच्छमे अची ने रेला लगा अईं. हॅडे वखत मे पां पांजी भासा ने संस्कृति के संभार्यूं ही वधारे जरूरी थई व्यो आय. अमुक महत्व जा कार्य जे अज सुधी पूरा थई व्या हुणा खप्या वा ने जे अना बाकी अईं हेनमेजा जे मिणीयां वधारे महत्वजा अईं से नीचे लखांतो.
अज जे आधुनिक काल में जमाने भेरो हले जी जरूर आय. अज मडे टी.वी. ने ईंटरनेट सुधी पोजी व्यो आय. हॅडे मे पांजा कच्छी माडु कच्छी भासा मे संस्कृति दर्सन, भजन, मनोरंजन, हेल्थ जी जानकारी ने ब्यो घणें मडे नेरेला मगेंता ही सॉ टका सची गाल आय. हेनजे अभाव में पांजा छोकरा ने युवक पिंढजी ऑडखाण के पूरी रीते समजी सकें नता. खास करेने जे कच्छ जे बार रेंता हु कच्छी भासा ने संस्कृति थी अजाण थींधा वनेंता.
अज कच्छ जे स्कूल में बो भासाएँ में सखायमें अचॅतो गुजराती ने ईंग्लीस. कच्छी भासा जे पांजी मातृभाषा आय ने घणे विकसित आय ही हकडी प स्कूल नाय जेडा १ थी १० धोरण सुधी सखायमें अचींधी हुए. कच्छी भासा जे उपयोग के वधारे में अचॅ त ही कच्छीयें ला करे सारी गाल आय ने स्कूल में सखायमें अचे त हनथी सारो कोरो. भोज, गांधीघाम जॅडे सहेरें में जेडा बई कम्युनीटी ( गुजराती,सींधी,हींदीभाषी,….) जा माडु प रेंता होडा ओप्सनल कोर्स तरीके रखेमें अची सगॅतो. १ थी १० क्लास सुधीजो अभ्यासक्रम पांजा कवि, साहित्यकार ने शिक्षक मलीने लखें त हेनके स्कूल में सखायला कच्छी प्रजा मजबूत मांग करे सगॅती. जॅडीते गुजरात, महाराष्ट्र,…. मे मातृभासा जो अभ्यासक्रम त हुऍतोज.
कच्छी चॉवक : धाबा सॅन करेजी सग़ती वॅ से हॉरी रमॅ
धाबा सॅन करेजी सग़ती वॅ से हॉरी रमॅ.
माईक्रोफिक्सन
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नॅर ईशा, हीं धिरजी वेनीयें
त स्केटिंग न सिखाबो.तॉजी
जॅडल आकांक्षा के नॅर,सिखॅती
छणॅती,उभी थीयॅती, नीरा
चकामा ने ढीमणा पेंता, हथ
पग छोलजेंता,तांय स्केटिंग
सिखॅजी जिधके छडे नती.
सरीरतें घा पोंधा सेधवाईयें
सें सोंजा थिई वेंधा. छणधो,
उठींधो ने धोड़धो,ऊजसिखी
सगंधो. सरीरतें धाग पोंधा से त मटी वेंधा, ई तूं सॅन न
करी सगॅं त सवारेनूं क्लास
– में म अचीज. आकांक्षा
जॅडी हींमत रखनीयें त तॉके
कोय अटकाई न सगंधो.
अज काउन्चर तानूं तोजी
फी पाछी मिलंधी. सॉरी
ईशा ! तॉकेज निकी करेजो
आय क स्केटिंग सिखॅजी
जिध तॉमें कितरी आय ?
ब्ये डीं नों वरॅजी ईशा टाईट
फीट स्केटिंग ड्रेस ने बूट साथे
कलासजे हॉलमें उगेजे छ
वगेंमें हाजर वी.
अठ मेणे पोय
अज स्केटिंग शो जे फिनालेमें ईशाके रजत मॅडल
मुख्य मंत्री गलेमें पेरायांते
तॅर इनजा सर मिणीया
वधू खुस हूआ.
: भानुबेन
विश्वमात्रृभाषा डीं
सुखडीमे कच्छीभाषाजी नीलक हलाई आय से माणींजा!
छाल पां नीला रो ઍडी धुआ
मा,मात्रृभूमि ने मात्रृभाषाके जुको भोले तो
तेन्जी भावि पेढी ओनींके ज भुली विनेती
અજ ૨૧ ફેબ્રુવારી વિશ્વમાત્રૃભાષા ડી નિમિત્તૅ મિણીકે શુભેચ્છા! વાધાઈ!
સુખડીમે કચ્છીભાષાજી નીલક હલાઈ આય સે માણીજા!
છાલ પાં નીલા રો ઍડી ધુઆ🙏🏻
अज पां मिणीके कच्छीवाणीके माणेजी
जाणेजी
नाणेजी(मूलववी)
मा बोलीजो मोभो वधे,मान वधे,पांके पांजी भाषाजो गौरव थीये ते ला जुम्भीने मॅनथ केजी!
अज सजो डी,मा कच्छडीजागुण लजणा वतयणा गाणां ने गजायणा ई ज पांजो धरम!!
અજ પાં મિણીકે કચ્છીવાણીકે માણેજી
જાણેજી
નાણેજી(મૂલવવી)
મા બોલીજો મોભો વધે,માન વધે,પાંકે પાંજી ભાષાજો ગૌરવ થીયે તે લા જુમ્ભીને મૅનથ કેજી!
અજ સજો ડી,મા કચ્છડીજાગુણ લજણા વતયણા ગાણાં ને ગજાયણા ઈ જ પાંજો ધરમ!!
पांजे कच्छ मे पांजी हाजरी
घणें रीते प्रगती करे रह्यो आय. तें छता पांजे मादरे वतन मे पांजी हाजरी इतरी ओछी कोला आय ?
कच्छ मे औद्योगिक क्रांति थई रई आय. खेती मे नवा नवा प्रयोगो ने आविष्कार थई रह्या अईं. जडा खाली मोंग, गोवार, बाजर थिंधा वा हणें केळा, केसर केरी, दाडम, खारक जा भगीचा लहेराइ रह्या अईं.
डेरी उद्योग जे विकासथी पशुपालन में प तेजी आवई आय. गायुं, मेइजा तबेला भनेला लगा अईं. अरे……हणें त ओठडी जो दूध प डेरी मे वनेतो अतरे ओठ, ओठडी जी संख्या प वधेला लगी आय.
बांधकाम जी प्रवृत्ति मे प तेजी आवई आय हॅडेमे पांजी सनी हाजरी, गेरहाजरी मन मगज के चंधामे वजॅती.
कोरो पां फक्त मुंबई जी तकलादी ने जीवलेण भौतिक सोख समृद्धि मे फसेला रॉबो . लखेंजा ने हणें करोडेंजा वन बेड, टु बेड के थ्री बेड होल किचन जे सांकडे फ्लेट ला, कच्छजे वडे….डेली वारे आंगण , ओसरी, करइ वारे घरें के भोली वॅबो .
विशाळ जमीनें के पारकें जे हवाले करेने कच्छ जी भूमि के,पांजी मातृभूमि के पां भोली वॅबो ?
कच्छ साथेजो पांजो सबंध कोरो फक्त दहेरासर जी धजा, वर्षगांठ, पयुर्षण के माताजी जी पॅडी पूरतो ज रखबो ?
मुंबई जी गर्दी मे गुंगळाइ ने मरे पॅला ही विचारेजो जरुरी आय……
जय कच्छ !
आगम वाणी
श्री मामैयदेवजी भविष्यवाणी सची पई रई आय हॅडो लगेतो :
[१]कुंवर विकनींडा काठीयुं,
रा विकनींडा घाह,
‘मामै मातंग, चे,
नाणे विकंधा न्याह.
[२] खचरडा खीर खायेंदा,
तगडा थींदा ताजी,
वडा माडु वेही रोंधा,
पूंछा ईंधा पाजी.
[३]सनेजीवेजी शरम न रोंधी,
न रोंधी मनमें मेर,
धन खर्चे धर्मी चवांधा,
कंधा वडे से वेर.
[४]मेडीयुं पाडे ने मारग थिन्दा,
कबरमें थीन्दा घर,
अस्त्री वेंधी तखत पे,
जाळी लोदिन्डे नर.
[५]शाह छडिन्धा शाहपणुं,
सच्च छडिन्धा शेठ,
भामण भणन छडिन्धा,
जाडेजा कंधा वेठ.
[६]भुख माडु ते भड ध्रिजंदा,
शियाळे ध्रिजंदा सीं,
पे ध्रिजंदा पुतरते,
हेडा अच्चेंन्धा डी.
असीं कच्छी अईयुं ! जियॅ कच्छ !
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असीं कच्छी अईयुं,
असीं कच्छी अईयुं,
असीं कच्छी अईयुं,
असीं कच्छी अईयुं
केर अयॉ असांके पोछॉता,
केर अयॉ असांके पोछॉता,
हरी असीं कच्छी अईयूँ इअं चोंता,
हरी असीं कच्छी अईयूँ इअं चों ता,
कच्छडेमें ही शरीर बन्धांणु,
हेन भूमि जो ऋणी गणांणु,
ऑपकर असीं न भोलूंता रे…ऐ ऐ (2)
कच्छी अईयूँ, कच्छी अईयूँ,
हरी असीं कच्छी अईयूँ … केर अयॉ
देशप्रेम के धेलडे में धरियुं,
यथाशक्ति सेवा असीं करियुं,
कछड़ेला ज जीयुंता रे…हो हो (2)
कच्छी अईयूँ, कच्छी अईयूँ,
हरी असीं कच्छी अईयूँ , केर अयॉ..
कच्छजे मेंट्टीजी ही आय खुमारी,
कइक मंजलुं पार करेजी आय तैयारी,
भले खबर पॅ ही धोनीया के..रे रे (2)
कच्छी अईयूँ, कच्छी अईयूँ,
हरी असीं कच्छी अईयूँ , केर अयॉ..
हर कम धंधे के असीं रसायो,
मोड्स अयुं एडो ठसायो,
केन कम में पण पाछा न पोंता …हो हो (2)
कच्छी अईयूँ, कच्छी अईयूँ,
हरी असीं कच्छी अईयूँ … केर अयॉ
कच्छी दोख में सदा खेल्या अईं
संस्कार ही घुडीये में मेल्या अईं
कच्छ जी कच्छीयत नेभाय रखबो…हो हो (2)
कच्छी अईयूँ, कच्छी अईयूँ,
हरी असीं कच्छी अईयूँ … केर अयॉ
देश छड़े परदेश असीं व्या,
ओत पण मोड़साई से असीं रेया,
केन्जो पण ध्रा न रखूंता रे.. ऐ ऐ (2)
कच्छी अईयूँ,कच्छी अईयूँ,
हरी असीं कच्छी अईयूँ … केर अयॉ
असीं कच्छी अईयुं,
असीं कच्छी अईयुं,
असीं कच्छी अईयुं,
असीं कच्छी अईयुं
जियॅ कच्छ !