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Posts under ‘Kids’

सुभ डीयारी | डीयारी जी मिणीके जिज्यूं जिज्यूं वधाईंयू

डीयारी मनायूं
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डीयारी आवई वला डीयारी मनायूं
एडी पिरभेजीं मा’राणी डीयारी मनायूं

हींये उमंग भरी हुंभसे पिरभ मनायूं…(२)
फटाकें जी तडाफडी…अंगण रंगोडी सजायूं
एडी पिरभेजीं मा’राणी….

जगमगाट डिसजे रंगबीरंगी बतीयूं…(२)
कंढील लगाई…डीये जी जोत जगायूं
एडी पिरभेजीं मा’राणी…..

मेवा मिठाई वला नित नवी वानीयूं…(२)
जिलेभीने फाफडेजी…मिजभानी उडायूं
एडी पिरभेजीं मा’राणी…..

धन ने लखमी जा वडा पूजन करायूं…(२)
खिली खिलाई वसंत…डीयारी मनायूं
एडी पिरभेजीं मा’राणी…
– वसंत मारू…चीआसर
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डीयारी जी मिणीके जिज्यूं जिज्यूं वधाईंयू
नॅ वरेज्यूं शुभेच्छाऊं

धनतेरस जी हार्दिक शुभकामनाऊं 🎊🎊🎊🙏

सुभ दसेरा ! नवरात्री २०२४ ! Shubh Navratri 2024

या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ||

Mata je madh ja Live darshan 2024 (www.matanamadh.org)
Mata jo madh website https://matanamadh.org/

जय माताजी !

या देवी सर्वभूतेषु विष्णुमायेति शब्दिता । नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
या देवी सर्वभेतेषु चेतनेत्यभिधीयते। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:

या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
या देवी सर्वभूतेषु निद्रारूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:

या देवी सर्वभूतेषु क्षुधारूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
या देवी सर्वभूतेषु छायारूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:

या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
या देवी सर्वभूतेषु तृष्णारूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:

या देवी सर्वभूतेषु क्षान्तिरूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
या देवी सर्वभूतेषु जातिरूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:

या देवी सर्वभूतेषु लज्जारूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
या देवी सर्वभूतेषु शान्तिरूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:

यादेवी सर्वभूतेषु श्रद्धारूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
या देवी सर्वभूतेषु कान्तिरूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:

या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
या देवी सर्वभूतेषु वृत्तिरूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:

या देवी सर्वभूतेषु स्मृतिरूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:

या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:

Navratri Vrat Recipes
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http://idiva.com/photogallery-ifood/12-vrat-special-recipes-to-prep-for-navratri/32381

Norate Ja Rang Ne Umang I E 2 I Navratri Day 2 I Aarti Decoraion

न भोलज

न भोलज
पुजी विने सिखरतें प, तूं कॅनी तरीयो न भोलज
नतो भने घर, कॅनी सिखरें, ही फरीयो न भोलज

पिंढजें के छडी हिडा हुडा, तूं कॅनी धोडुं न कढज
वार नती लगे, कीं विखरे, जीं गिरीयो न भोलज

मीर के माल डिईने मजूर के, तूं कॅनी प न मारज
तૉजी कठणांईके, संभारे, ऊ साथीयो न भोलज

वाटूं ब डिसांजे सचाई ने, खोटाईज्यूं ई सारज
इगीया वधेला, पग पसारे, तूं गारीयो न भोलज

जॅडो तूं पोखीनें एडिज, निकी मिले तॉके उपज
मिल्यो साथ, वगर विसारे, ई जारीयो न भोलज

कींक डींने त कींक मिलंधो, वसंत ई धारो समज
अचेती वस, जीं वडरे, ई कॅनी धरीयो न भोलज
* वसंत मारू… चीआसर

Ahankar ke chadi ne hane….Kutchi Prathna Song

अलग कच्छ राज्य : कीर्तिभाई खत्री साथे हकडी मुलाकात

कच्छ अलग राज्य भनायला आह्वान

कच्छ मे वधारेमे वधारेमे रोजगारजी तकुं ओभी करेला मिणीं कच्छीयें के अरज आय.
मिणींके कच्छी भासा मेज बोलेजी अरज आय.
जय कच्छ !

KachchhSeperateState_1611

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पंज महत्वजा कार्य पांजे कच्छ ला

पांजी मातृभूमी कच्छ, मातृभासा कच्छी ने पांजी संस्कृति ही पांला करे अमुल्य अईं. अज कच्छ में ऊद्योगिक ने खेतीवाडी में विकास थई रयो आय. बारनूं अलग अलग भासा बोलधल माडु प कच्छमे अची ने रेला लगा अईं. हॅडे वखत मे पां पांजी भासा ने संस्कृति के संभार्यूं ही वधारे जरूरी थई व्यो आय. अमुक महत्व जा कार्य जे अज सुधी पूरा थई व्या हुणा खप्या वा ने जे अना बाकी अईं हेनमेजा जे मिणीयां वधारे महत्वजा अईं से नीचे लखांतो.

१. चोवी कलाक जो कच्छी टी.वी.चेनल
अज जे आधुनिक काल में जमाने भेरो हले जी जरूर आय. अज मडे टी.वी. ने ईंटरनेट सुधी पोजी व्यो आय. हॅडे मे पांजा कच्छी माडु कच्छी भासा मे संस्कृति दर्सन, भजन, मनोरंजन, हेल्थ जी जानकारी ने ब्यो घणें मडे नेरेला मगेंता ही सॉ टका सची गाल आय. हेनजे अभाव में पांजा छोकरा ने युवक पिंढजी ऑडखाण के पूरी रीते समजी सकें नता. खास करेने जे कच्छ जे बार रेंता हु कच्छी भासा ने संस्कृति थी अजाण थींधा वनेंता.
कच्छी टी.वी.चेनल ते चॉवी कलाक कच्छी भासा में अलग अलग जात जा प्रोग्राम जॅडीते न्यूज, सीरीयल, हास्य कलाकार, खेतीवाडी जा सवाल जवाब, भजन, योगा,….नॅरेला मलें त कच्छी माडु धोनिया में केडा प हुअें कच्छ हनींजे धिल जे नजीक रॅ ने कच्छ प्रत्ये ने कच्छी भासा प्रत्ये गर्व वधॅ. भेगो भेगो पिंढजी ऑडखाण मजबुत थियॅ. ही कार्य मिणींया महत्वजो आय.
२. स्कूल में १ थी १० सुधी कच्छी भासा जो अभ्यास
अज कच्छ जे स्कूल में बो भासाएँ में सखायमें अचॅतो गुजराती ने ईंग्लीस. कच्छी भासा जे पांजी मातृभाषा आय ने घणे विकसित आय ही हकडी प स्कूल नाय जेडा १ थी १० धोरण सुधी सखायमें अचींधी हुए. कच्छी भासा जे उपयोग के वधारे में अचॅ त ही कच्छीयें ला करे सारी गाल आय ने स्कूल में सखायमें अचे त हनथी सारो कोरो. भोज, गांधीघाम जॅडे सहेरें में जेडा बई कम्युनीटी ( गुजराती,सींधी,हींदीभाषी,….) जा माडु प रेंता होडा ओप्सनल कोर्स तरीके रखेमें अची सगॅतो. १ थी १० क्लास सुधीजो अभ्यासक्रम पांजा कवि, साहित्यकार ने शिक्षक मलीने लखें त हेनके स्कूल में सखायला कच्छी प्रजा मजबूत मांग करे सगॅती. जॅडीते गुजरात, महाराष्ट्र,…. मे मातृभासा जो अभ्यासक्रम त हुऍतोज.

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कच्छी बाल वार्ता : सांताजी क्रीसमस

कच्छी बालवार्ता : Kachchhi childrens stories

कच्छी बालगीत

कच्छी बोली

(निसाड़में क बार सॅरी –चॉक में निन्ढें सरतीयें ज्यूं ब टोलियूं थीअें नें जोम जुस नें भावसें साम सामा पड़कारा थीअें…छोकरेंके रांध-रांधमें सिखेजो मिले नें जाध प रै विञे अेडी़ ही रांध नारायण जोशी ‘कारायल ‘ जे ईंधल प्रकाशन म्यां आए).
                          जोड़कणां
    

  टोली- १
टोली- २
असीं सिखोंता   …………………………. कच्छी  बोली.
असीं  लिखोंता  …………………………. कच्छी  बोली.
असीं  बुजोंता  ………………………….. कच्छी  बोली.
मूंजी  बोली   …… ……………………. कच्छी  बोली.
असांजी बोली   …………………………. कच्छी  बोली.
पांजी  बोली    …………………………. कच्छी  बोली.
मिणींजी बोली  ………………………….. कच्छी  बोली.
जभर बरूकी   …………………………… कच्छी  बोली.
सूरातन डे     …………………………… कच्छी  बोली.
भक्तिरसजी    ……………………………. कच्छी  बोली.
टूंकी नें टच   ……………………………. कच्छी  बोली.
नोंय रसेंजी   …………………………….. कच्छी  बोली.
हिकडाई डेती  …………………………….. कच्छी  बोली.
कच्छजी मूडी ……………………………….कच्छी  बोली.
डेसजी संपत  …………………………….. कच्छी  बोली.
डेस –विडेसे   …………………………….. कच्छी  बोली.
मिठी लगे़ती  ……………………………… कच्छी  बोली.
असीं कुछोंता  …………………………….. कच्छी  बोली. 
              : नारायण जोसी “कारायल”

वड़ डाडा

वड़ डाडा
*****
निसाड़में क बार सॅरी-चॉक में निन्ढें सरतीयें ज़्यूं ब टोलियूं थीअें नें जोम जुस नें भावसें साम सामा पड़कारा थीअें ….. छोकरेंके रांध- रांधमें सिखेजो मिले नें जाध प रै विने तॅडी़ ही रांध नारायण जोसी “कारायल” जे ईंधल प्रकासन म्यां आए .
जोड़कणां
टोली १
वड़ डाडा वड़ डाडा
लमीं लमीं डाडी़ं वारा …….
वडी वडी वड़वाई वारा

निपट निन्ढें बिजें वारा
जबर जॉराते थुड़ वारा …….
मींयड़ें के वारण वारा

पोंयूं रिढूं हित वेंत्यूं
माडूडा़ हित ठापर खणेंता …….
रांध भिरांठडी़ रमाय वारा

कीडि़यूं माकूडा़ हित वसेंता
पखीडा़ सांजी भेरा थै ने ……..
जीव मातर के थाधारे ने़

टोली २
जोगी जटारा वड़ डाडा
थालडी़ जॅड़ें पनें वारा
मिठा लग़ेंता वड़ डाडा

रतें नीलें टेटें वारा
ऊनीं ऊनीं पाड़ें वारा
खासा लग़ेंता वड़ डाडा

गो़ंयूं मैयूं वेसा खेंत्यूं
पिरभ पाणीजा हित वें ता
वला़ लग़ेंता वड़ डाडा

जर जिनावर हित ठेकेंता
किलबिल किलबिल रयाण करींता
वेसां डींयेंता वड़ डाडा

: नारायण जोसी “कारायल”

भा : बाल काव्य

वीर पसली अने रक्षा बंधन जे डीं ही सुंदर कविता .
**भा**
*बाल काव्य*
मुजे मिठड़े भा के झूलायां !
लै भेंनर !
लाडले वीरके झूलायां !…
झूले झूले तो वीर आमेंजी डार ते !
लॅरें लॅरें नीर सरोवर पार ते!
अमरत फल खारायां , लै भेंनर !
नीर ने खीर पिरायां , लै भेंनर !… लाडले
रांध रमे तो वीरो , लिक्क बुचाणी !
नित नित सुणे तो इ , नैं नैं आखाणी !
रुसे त आउं परचायां , लै भेंनर !
हुलसां ने हुलसांयां , लै भेंनर !.. लाडले
प्यारे वतन जो भा, संतरी थींधो !
मा पे ने भेंनर जा , कोड पुरींधो !
लाखेणी लाडी पेंणायां, लै भेंनर !
मिठडा़ गीत पै गायां , लै भेंनर!.. लाडले
: माधव जोशी “अश्क”

माटली : बाल कविता

माटली रे माटली,
पाणी भरे जी माटली
माटली सटूकडी़,
रमो प्या मटूकडी़,
रमँधे रमँधे तरा आयो,
पाणी भरी मथे चडा़यो .
मथे ता सीनोंणी,
सिरी विइ अकोणी,
खणी खणी पची रिइयां,
गारे में आउं घची रिंइयां,
माटली वी काणी,
मिडे़ वुङी़ व्यो पाणी !
:कवि डॉ. वसंतजी नागडा
अकोणी : मस्तीखोर

Kutch Quiz 2

Refresh and test your knowledge about Kutch .
For Kutch Quiz 1 : click Kutch Quiz 1

(scroll down for correct answers)

1. Which Kutchi writer has written the famous Kutchi patriotic song ‘Munjhi Matrubhoomi Ke Naman’

a. Narayan Joshi
b. Mahatma Niranjan
c. Madhav Joshi
d. Kavi Tej

2. Which of the below birds are found in Kutch

a. Chestnut bellied Sandgrouse
b. Steppe Eagle
c. Eurasian Marsh Harrier
d. Eurasian Spoonbill

3.Which month is the Hajipir Fair in Kutch celebrated

a. September
b. August
c. April
d. January

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हकल : कच्छी बाल गीत

हकल
हिकड़ों , बो , त्रे , चार
हैया नकरो घरनुं बार.
पंज , छ , सत , अठ,
भेरी खण झा हथ में लठ.
अठ , पोठिया अइं गणझा नों ,
साथ डिने झा खणझा सों,
झेडा़ नों अइं तेडा़ डो,
भडवीरें के केडो़ भो.
डो-वी कइंधे थींधा सो,
इगिया इगिया हलँधा रो !
: कवि डो वसंतजी नागडा

किस्मत रेखा : बाल काव्य

किस्मत रेखा
बाल काव्य
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चितर चितरीयां !
रत्ता पीरा , कारा नीला
गुल्ल गुलाबी , चितर चितरीयां!

सिज ने चंधर , तारा मंढल !
वसंधल मेघ मलार चितरीयां !

कुकड़ कागड़ो, हंस कबुतर,
तितर कलायल मोर चितरीयां !

हाथी घोड़ो , उठ गांय ने ,
रिढ़ ने बकरी , मे चितरीयां !

हिकड़े निनढड़े हथ जे विचमें ,
किस्मतजी आऊं , रेखा चितरीयां !

: माधव जोशी “अश्क”