
Posts under ‘Kids’
डेतर
********
धूसको डने,डग
छाय जो छमकार,
सूंयो कनते,
तासरी खणी करी,
चे मावडी मखण,
*डॅ*
**************
*तान्का*
मखण मानी,
छबल भरे गिन,
लोंधा भरेने.
लगाय मखण के,
ध्रो सठ खाय गिन.
**************
*हाईकु*
मखण खाधों,
मानी ते लगायने.
मजा आवई.
************
*साईजीकी*
मजा त अचेन,
घरजो वे,
दूध.
गोंयु मैयुं पिंढ़जीयुं.
*ज्यंती छेडा पुनडीवारा*
मिणींके हॅप्पी होरी

होरीजा फाग गजें , धिलमें ओ रसिया,
ढोलीजा ढोल वजें, धिलमें ओ रसिया.
केसूडो डोले प्यो सीमके सोनजी करे,
मनजो माणीगर रंगसें पिचकारी भरे.
वरणागी रूप सजेँ , धिलमें ओ रसिया,
ढोलीजा ढोल वजें, धिलमें ओ रसिया.
खणीनें अभके, उभो आय हि जीवतर,
रंगजे हुभसें मुं भेगो मूंजो हमीरसर.
सोणां सट कढे भजें, धिलमें ओ रसिया,
ढोलीजा ढोल वजें, धिलमें ओ रसिया.
गामजे चोरेतें पुसेतो रंगसें फारियो,
खेतरमें खिले प्यो, चोकीधार चाडियो.
होरीगीत लजें , धिलमें ओ रसिया,
ढोलीजा ढोल वजें, धिलमें ओ रसिया.
***
-कृष्णकांत भाटिया ‘कान्त’
ओगराइ
अमी जी ओगराइ कीं अचे?
जित विख जा सिराण वें,
ओगराइ ता उत अचे यार,
जित मोभत जा मंढाण वें.
: आसमल धुलिआ “अगम”
*केते व्यो ?*
चुलो केते व्यो,
पाणीयारो केते व्यो ?
मिठे पाणी जी वाय,
*आरो केते व्यो ?*
सीम जी वाट तें,
पग मूंजा घसी व्या,
कोयल नें मोरजो
*टहुकारो केते व्यो?*
बाजरजी मानी नें,
डुंगरी जो साक,
परो जो छाय जो
*छमकारो केते व्यो ?*
तरा जी पार तें,
लूगडा सुकधा वा,
उते पइ छीपरें जो
*आरो केते व्यो ?*
छेण नें मिटी सें ,
लिंपण थींधा वा,
गौ मुतरसें भनधो
*गारो केते व्यो ?*
डेर-डेराणी,जेठ
-जेठाणी,सस नें सोरो,
ए सुणेती-कंथ जो
*टुकारो केते व्यो ?*
केते व्या मूंजा ,
ढोलियो नें धड઼की ?
मीडी तें थीधो वो,
*ओतारो केते व्यो ?*
हाल पुछधा
हाल पुछधा
वाट में मिलधल,
धिल जी गाल
सुणधल कोक वें,
इनके रखो हींये.
*- वसंत मारू…चीआसर*
कच्छ अलग राज्य भनायला आह्वान
मिणींके कच्छी भासा मेज बोलेजी अरज आय.
जय कच्छ !
पंज महत्वजा कार्य पांजे कच्छ ला
पांजी मातृभूमी कच्छ, मातृभासा कच्छी ने पांजी संस्कृति ही पांला करे अमुल्य अईं. अज कच्छ में ऊद्योगिक ने खेतीवाडी में विकास थई रयो आय. बारनूं अलग अलग भासा बोलधल माडु प कच्छमे अची ने रेला लगा अईं. हॅडे वखत मे पां पांजी भासा ने संस्कृति के संभार्यूं ही वधारे जरूरी थई व्यो आय. अमुक महत्व जा कार्य जे अज सुधी पूरा थई व्या हुणा खप्या वा ने जे अना बाकी अईं हेनमेजा जे मिणीयां वधारे महत्वजा अईं से नीचे लखांतो.
अज जे आधुनिक काल में जमाने भेरो हले जी जरूर आय. अज मडे टी.वी. ने ईंटरनेट सुधी पोजी व्यो आय. हॅडे मे पांजा कच्छी माडु कच्छी भासा मे संस्कृति दर्सन, भजन, मनोरंजन, हेल्थ जी जानकारी ने ब्यो घणें मडे नेरेला मगेंता ही सॉ टका सची गाल आय. हेनजे अभाव में पांजा छोकरा ने युवक पिंढजी ऑडखाण के पूरी रीते समजी सकें नता. खास करेने जे कच्छ जे बार रेंता हु कच्छी भासा ने संस्कृति थी अजाण थींधा वनेंता.
अज कच्छ जे स्कूल में बो भासाएँ में सखायमें अचॅतो गुजराती ने ईंग्लीस. कच्छी भासा जे पांजी मातृभाषा आय ने घणे विकसित आय ही हकडी प स्कूल नाय जेडा १ थी १० धोरण सुधी सखायमें अचींधी हुए. कच्छी भासा जे उपयोग के वधारे में अचॅ त ही कच्छीयें ला करे सारी गाल आय ने स्कूल में सखायमें अचे त हनथी सारो कोरो. भोज, गांधीघाम जॅडे सहेरें में जेडा बई कम्युनीटी ( गुजराती,सींधी,हींदीभाषी,….) जा माडु प रेंता होडा ओप्सनल कोर्स तरीके रखेमें अची सगॅतो. १ थी १० क्लास सुधीजो अभ्यासक्रम पांजा कवि, साहित्यकार ने शिक्षक मलीने लखें त हेनके स्कूल में सखायला कच्छी प्रजा मजबूत मांग करे सगॅती. जॅडीते गुजरात, महाराष्ट्र,…. मे मातृभासा जो अभ्यासक्रम त हुऍतोज.
कच्छी बोली
वड़ डाडा
*****
लमीं लमीं डाडी़ं वारा …….
वडी वडी वड़वाई वारा
निपट निन्ढें बिजें वारा
जबर जॉराते थुड़ वारा …….
मींयड़ें के वारण वारा
पोंयूं रिढूं हित वेंत्यूं
माडूडा़ हित ठापर खणेंता …….
रांध भिरांठडी़ रमाय वारा
कीडि़यूं माकूडा़ हित वसेंता
पखीडा़ सांजी भेरा थै ने ……..
जीव मातर के थाधारे ने़
थालडी़ जॅड़ें पनें वारा
मिठा लग़ेंता वड़ डाडा
रतें नीलें टेटें वारा
ऊनीं ऊनीं पाड़ें वारा
खासा लग़ेंता वड़ डाडा
गो़ंयूं मैयूं वेसा खेंत्यूं
पिरभ पाणीजा हित वें ता
वला़ लग़ेंता वड़ डाडा
जर जिनावर हित ठेकेंता
किलबिल किलबिल रयाण करींता
वेसां डींयेंता वड़ डाडा
भा : बाल काव्य
लै भेंनर !
लाडले वीरके झूलायां !…
लॅरें लॅरें नीर सरोवर पार ते!
अमरत फल खारायां , लै भेंनर !
नीर ने खीर पिरायां , लै भेंनर !… लाडले
नित नित सुणे तो इ , नैं नैं आखाणी !
रुसे त आउं परचायां , लै भेंनर !
हुलसां ने हुलसांयां , लै भेंनर !.. लाडले
मा पे ने भेंनर जा , कोड पुरींधो !
लाखेणी लाडी पेंणायां, लै भेंनर !
मिठडा़ गीत पै गायां , लै भेंनर!.. लाडले
माटली : बाल कविता
पाणी भरे जी माटली
रमो प्या मटूकडी़,
पाणी भरी मथे चडा़यो .
सिरी विइ अकोणी,
गारे में आउं घची रिंइयां,
मिडे़ वुङी़ व्यो पाणी !
Kutch Quiz 2
Refresh and test your knowledge about Kutch .
For Kutch Quiz 1 : click Kutch Quiz 1
(scroll down for correct answers)
1. Which Kutchi writer has written the famous Kutchi patriotic song ‘Munjhi Matrubhoomi Ke Naman’
a. Narayan Joshi
b. Mahatma Niranjan
c. Madhav Joshi
d. Kavi Tej
2. Which of the below birds are found in Kutch
a. Chestnut bellied Sandgrouse
b. Steppe Eagle
c. Eurasian Marsh Harrier
d. Eurasian Spoonbill
3.Which month is the Hajipir Fair in Kutch celebrated
a. September
b. August
c. April
d. January
हकल : कच्छी बाल गीत
हैया नकरो घरनुं बार.
भेरी खण झा हथ में लठ.
साथ डिने झा खणझा सों,
भडवीरें के केडो़ भो.
इगिया इगिया हलँधा रो !
किस्मत रेखा : बाल काव्य
बाल काव्य
-*-
रत्ता पीरा , कारा नीला
गुल्ल गुलाबी , चितर चितरीयां!
सिज ने चंधर , तारा मंढल !
वसंधल मेघ मलार चितरीयां !
कुकड़ कागड़ो, हंस कबुतर,
तितर कलायल मोर चितरीयां !
हाथी घोड़ो , उठ गांय ने ,
रिढ़ ने बकरी , मे चितरीयां !
हिकड़े निनढड़े हथ जे विचमें ,
किस्मतजी आऊं , रेखा चितरीयां !
: माधव जोशी “अश्क”