धूणी रमाय गिन ध्यानजी,
कचरो बरी वेंधो कुडाईजो.
सचाई अची वेंधी सामें,
नें काठ निकरी वेंधो कुपाईजो.
“अगम”
कचरो बरी वेंधो कुडाईजो.
सचाई अची वेंधी सामें,
नें काठ निकरी वेंधो कुपाईजो.
“अगम”
Posted in: Kutchi Kavita,Chovak,Sahitya (Poetry, Quotes, Literature).
© 2023 Kutchi Maadu